आल्हा-ऊदल के द्वारा स्थापित की गई थी मां सोनासरि देवी।
उत्तर प्रदेश लखनऊ से लगभग 100 किलोमीटर दूर गाँव सेवता में मां सोनासरि देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध है। माता की मूर्तियों को विध्याचल से आल्हा-ऊदल यहां लाए थे। तब से मां सोनासरि देवी यहां मंदिर में विराजमान हैं। प्रसिद्ध आल्हा खंड में सोनासरि देवी का मां सोनवा के नाम से वर्णन है। श्रद्धालु पूरे नवरात्र माता का भव्य श्रृंगार करते हैं। सुबह-शाम आरती एवं पूजा होती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
इतिहास
इतिहास और रहस्यों को समेटे सोनासरि देवी मां के मंदिर में पिडी स्वरूप माता रानी विराजमान हैं। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर रथ की आकृति बनी है। इसमें रथ खींचते चार घोड़े और उस पर अर्जुन के साथ सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं। मंदिर के द्वितीय द्वार पर यज्ञशाला है। अमावस्या पर विशाल मेला लगता है।
मां सोनासरि मंदिर में पिडी स्वरूप में विराजमान हैं। यह स्वरूप अपने आप में विशिष्ट है। आल्हा-ऊदल काल के समय से माता यहां विराजमान हैं। इस मंदिर में आस पास जिलों के श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
नेत्र रोग निवारण के लिए प्रसिद्ध है यह स्थान
विख्यात
मन्नत पूरी होने पर चांदी की आंखें को दान करते हैं। भक्त
द्वारा सुशील मौर्य पत्रकार